मकबरा सआदत अली खां, लखनऊ का एक बेजोड़ ऐतिहासिक स्मारक
लखनऊ के ऐतिहासिक कैसरबाग क्षेत्र में स्थित है एक गौरवशाली धरोहर — मकबरा सआदत अली खां। यह स्थान न केवल वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है, बल्कि अवध के चौथे नवाब सआदत अली खां की स्मृति में समर्पित एक शाही श्रद्धांजलि भी है। इसी प्रांगण में दो अन्य ऐतिहासिक स्मारक — मकबरा मुशीरजादी और सैपर्स की कब्र — भी स्थित हैं, जो इस स्थल को और भी ऐतिहासिक बना देते हैं।
📜 इतिहास की परतों में
सआदत अली खां के पुत्र ग़ाज़ीउद्दीन हैदर ने अपनी भावनात्मक श्रद्धा को अमर बनाने के लिए अपने पूर्व महल को तोड़वाकर इस भव्य मकबरे का निर्माण कराया। यही महल कभी ग़ाज़ीउद्दीन का निवास स्थान था जब वे युवराज के रूप में अवध की गद्दी के उत्तराधिकारी थे।
🏛️ स्थापत्य और विशेषताएं
यह मकबरा एक ऊँचे टीले पर स्थित है, जिसके चारों ओर हरियाली से सजे-संवरे लॉन और सुंदर लोहे की रेलिंगें हैं। इसकी छत पर बनी भव्य गुंबद इसकी पहचान है। मकबरे की फर्श पर बनी काले और सफेद संगमरमर की शतरंजी डिजाइन इसकी शिल्पकला को और भी भव्य बनाती है।
एक मार्ग आपको सीधा उस भूमिगत तहखाने तक ले जाता है, जहां सआदत अली खां की समाधि स्थित है। मकबरे के एक गलियारे में तीन बेगमों की कब्रें लाल ईंट की फर्श में बने साधारण गड्ढों में बनी हुई हैं। इनके पुत्रियों की कब्रें पूर्वी गैलरी में स्थित हैं। एक सँढ़ी नीचे जाकर एक अंधेरी सुरंग तक पहुँचती है, जहां तीन कब्रें सआदत अली खां और उनके दो भाइयों की याद में बनी हैं।
👑 मकबरा मुशीरजादी
पूर्वी कोने में स्थित एक छोटा मकबरा मुशीरजादी, सआदत अली खां की पत्नी और ग़ाज़ीउद्दीन की माता, की समाधि को समर्पित है।
⚔️ सिपाही विद्रोह और सैपर्स की कब्र
1857 के विद्रोह के दौरान इस स्थल ने युद्ध की विभीषिका देखी। मकबरों की छतों से तोपों की बौछार की गई, जिसने जनरल हैवलॉक की सेना को राहत पहुंचाने से रोका। मुख्य मकबरे के समीप एक साधारण सी, पत्थर से ढकी सैपर्स की कब्र है, जहां 17 मार्च 1858 को बारूद के विस्फोट में शहीद हुए 23वीं रॉयल इंजीनियर कंपनी के सैनिकों और अधिकारियों की याद में समाधि बनी है। एक सफेद संगमरमर की पट्टिका इस ऐतिहासिक घटना की गवाही देती है।
🛡️ संरक्षण
ये तीनों स्मारक — मकबरा सआदत अली खां, मकबरा मुशीरजादी और सैपर्स टॉम्ब — भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा अधिसूचना संख्या UP 1645-M/1133 दिनांक 22.12.1920 के अंतर्गत संरक्षित घोषित हैं।